NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 8
कर चले हम फ़िदा
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
प्रश्न 1. क्या इस गीत की कोई ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है?
उत्तर- हाँ, इस गीत की पूर्वकथा है। 1962 में चीन ने भारत पर हमला किया। युद्ध में कई सैनिक लड़ते-लड़ते मर गए। “हकीकत” फ़िल्म इसी युद्ध पर बनी थी। इस फ़िल्म में भारत-चीन युद्ध का सच दिखाया गया था। इसी फ़िल्म के लिए यह गीत लिखा गया था।
प्रश्न 2. ‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’, इस पंक्ति में हिमालय किस बात का प्रतीक है?
उत्तर- हमने सर हिमालय को झुकने नहीं दिया हिमालय इस पंक्ति में भारत के सम्मान का प्रतीक है। 1962 में भारत-चीन युद्ध हिमालय की घाटियों में हुआ था। इस युद्ध में बहुत से हमारे सैनिक मारे गए। हिमालय की बर्फीली चोटियों पर भारतीय जवानों ने बहादुरी और बलिदान की अनोखी मिसाल दी थी। भारतीय सेना के वीर जाँबाजों ने भारत के सम्मान को बचाया।
प्रश्न 3. इस गीत में धरती को दुलहन क्यों कहा गया है?
उत्तर- गीत में धरती को दुल्हन कहा जाता है क्योंकि 1962 के युद्ध में भारतीय सैनिकों के बलिदानों से पूरी युद्धभूमि लाल हो गई, मानो दुल्हन की तरह लाल हो गई हो।
प्रश्न 4. गीत में ऐसी क्या खास बात होती है कि वे जीवन भर याद रह जाते हैं?
उत्तर- भाषा और संगीत का अद्भुत तालमेल जीवन भर याद रहने वाले गीत बनाता है। जो व्यक्ति की आत्मा में स्वयं प्रवेश करता है। गीतों के बोल सरल और प्रभावी शैली में होने चाहिए ताकि वे आसानी से व्यक्ति की जुबान पर चढ़ सकें। इन गीतों का विषय जीवन के गंभीर मुद्दों से जुड़ा होना चाहिए। ऐसे गीत हृदय की गहराइयों में समा जाते हैं और इनके सुर और लहरियाँ मन को सकारात्मकता से ओत-प्रोत करते हैं, जो जीवन भर याद रहते हैं।
प्रश्न 5. कवि ने ‘साथियो’ संबोधन का प्रयोग किसके लिए किया है?
उत्तर- कवि ने देशवासियों को संबोधित करते हुए “साथियो” शब्द का उपयोग किया है, जो देश की एकता को दर्शाता है। देशवासियों का संगठन देश को प्रगतिशील, विकासशील और समृद्धशाली बनाता है। देश की “अनेकता में एकता” जैसी विशिष्टता को मजबूत करने के लिए देशवासी एक दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं।
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प्रश्न 6. कवि ने इस कविता में किस काफ़िले को आगे बढ़ाते रहने की बात कही है?
उत्तर- “काफिले” एक समूह यात्री है। इस कविता में लेखक ने देश के सम्मान और रक्षा की खातिर अपने सुखों को त्याग कर मर मिटने वाले बलिदानियों के काफिले को आगे बढ़ाने की बात कही है। कवि का मानना है कि बलिदान का यह क्रम चलते रहना चाहिए क्योंकि हमारा देश केवल तब सुरक्षित रह सकता है जब बलिदानियों के काफिले शत्रुओं को परास्त कर विजयश्री हासिल करते रहेंगे।
प्रश्न 7. इस गीत में ‘सर पर कफ़न बाँधना’ किस ओर संकेत करता है?
उत्तर- इस गीत में, “सर पर कफ़न बाँधना” देश को पूरी तरह से समर्पित होने का संकेत है। जब सिर पर कफन बाँधकर चलने वाला व्यक्ति अपने जीवन से मोह नहीं करता, बल्कि अपने जीवन को बलिदान देने के लिए हमेशा तैयार रहता है. इसलिए हर सैनिक मरने के लिए हमेशा तैयार रहता है।
प्रश्न 8. इस कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- उर्दू भाषी साहित्यकार कैफ़ी आज़मी ने प्रस्तुत कविता लिखी है। युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म के लिए यह गीत लिखा गया है। कवि ने इस कविता में सैनिकों की हृदय की आवाज़ को व्यक्त किया है जो अपने देश के प्रति किए गए हर काम, हर कदम, हर बलिदान पर गर्व करते हैं। यही कारण है कि वे अपने देश के हर नागरिक से अपेक्षा करते हैं कि वे मरने के बाद उसकी आन, बान और शान को खराब नहीं करेंगे, बल्कि समय आने पर अपना बलिदान देकर उसकी रक्षा करेंगे।
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(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
प्रश्न 1. साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
उत्तर- इन पंक्तियों का भाव यह है कि हमारे वीर सैनिकों ने अपने देश को बचाने के लिए दिए गए अपने वचन का पालन करते हुए अपने जीवन के अंतिम क्षण तक युद्ध में घायल रहे। भयानक सर्दी के कारण भले ही उनकी साँसें रुकने लगीं और उनकी नब्ज़ चाहे जमने लगी, लेकिन उनके लक्ष्य कभी नहीं गिरे। भारत माँ की रक्षा करते हुए वे न तो पीछे हटे और न रुके। वे मरने तक अपने दुश्मनों से लड़ते रहे।
प्रश्न 2. खींच दो अपने खू से जमीं पर लकीर
इस तरफ़ आने पाए न रावन कोई
उत्तर- इन भागों से पता चलता है कि सैनिकों ने अंतिम साँस तक देश की रक्षा की। युद्ध में घायल होने पर, अंतिम समय आने पर, नब्ज़ के धीरे-धीरे चलने पर, कमज़ोर होने पर भी सैनिक अपने कदम नहीं रोकते; वे हँसते-हँसते भारत माता की रक्षा करते रहते हैं।
प्रश्न 3. छू न पाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो
उत्तर- इन पंक्तियों का भाव है कि भारत माता सीता की तरह पवित्र है। किसी को इसके दामन को छूना नहीं चाहिए। यह देश राम और लक्ष्मण जैसे महावीरों की धरती है, जिनके शासनकाल में कोई शत्रु रावण देश में घुसकर अस्मिता को लूट नहीं सकता था। यही कारण है कि सभी नागरिकों को मिलकर देश की गरिमा, मान-सम्मान और शुद्धता की रक्षा करनी होगी।
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भाषा अध्ययन
प्रश्न 1. इस गीत में कुछ विशिष्ट प्रयोग हुए हैं। गीत के संदर्भ में उनका आशय स्पष्ट करते हुए अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
कट गए सर, नब्ज़ जमती गई, जान देने की रुत, हाथ उठने लगे
उत्तर- सर, वे मर गए।
घुसपैठियों ने पठानकोट एअरबेस पर हमला करके कई सैनिकों को मार डाला।
नब्ज़ जमती गई- नसों में खून जमता गया।
लेह की कड़ी सरदी में जवानों की नब्ज़ जमती जाती है फिर भी वे देश की रक्षा में सजग रहते हैं।
जान देने की रुत- मातृभूमि के लिए कुरबान होने का अवसर।
अपने देश के लिए जान देने की रुत आने पर भूल से भी नहीं चूकना चाहिए।
हाथ उठने लगे- जब देश पर आक्रमणकारियों के हाथ उठने लगे तो उसे काट देना चाहिए।
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प्रश्न 2. ध्यान दीजिए संबोधन में बहुवचन ‘शब्द रूप’ पर अनुस्वार का प्रयोग नहीं होता; जैसे- भाइयो, बहिनो, देवियो, सः जनो आदि।
उत्तर- इन उदाहरणों को विद्यार्थियों को समझाएं:
नमस्कार- सफाई कर्मचारियों के नेता ने कहा कि कहीं भी गंदगी नहीं रहने दी जाएगी।
“बहिनो,” समाज सेविका ने कहा। कल पोलियो ड्राप लेने आना चाहिए।
श्रीदेवी- परमेश्वर! पुजारी ने कहा! श्रीदेवी! कलश पूजन में शामिल होना अनिवार्य है।
मित्रों, मित्रों! यहाँ को साफ रखने की कृपा करें।
योग्यता विस्तार
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प्रश्न 1. कैफ़ी आज़मी उर्दू भाषा के एक प्रसिद्ध कवि और शायर थे। ये पहले गज़ल लिखते थे। बाद में फ़िल्मों में गीतकार और कहानीकार के रूप में लिखने लगे। निर्माता चेतन आनंद की फ़िल्म ‘हकीकत’ के लिए इन्होंने यह गीत लिखा था, जिसे बहुत प्रसिद्धि मिली। यदि संभव हो सके तो यह फ़िल्म देखिए।
उत्तर- विद्यार्थी अपने माता-पिता की सहायता से यह फ़िल्म देखें।
प्रश्न 2. ‘फ़िल्म का समाज पर प्रभाव’ विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर- समाज पर फ़िल्म का प्रभाव- फ़िल्में हमारे समाज का चित्रण करती हैं। समकालीन समाज में जो कुछ होता है फ़िल्मों में वह जीता-जागता दिखाई देता है। मानवीय मूल्यों की स्थापना और सामाजिक विकास के लिए समाज इनका निर्माण करता है। फ़िल्में एक तरह से समाज को मनोरंजन प्रदान करती हैं
और दूसरी तरह से समाज को संदेश देकर कुछ करने का रास्ता दिखाती हैं। “हकीकत” एक ऐसी ही फ़िल्म थी जिसे देखकर अपनी मातृभूमि के लिए कुछ करने का उत्साह आता था।
फ़िल्में भी सामाजिक बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। फ़िल्मों की भूमिका, दहेज प्रथा, नशाखोरी, जातिवाद और अन्य सामाजिक कुरीतियों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण है। फ़िल्मों का महत्वपूर्ण योगदान युवा पीढ़ी को शिक्षित करने और उनमें मानवीय मूल्यों को प्रोत्साहित करने में होता है। निर्माताओं का कर्तव्य है कि उत्कृष्ट फिल्मों को समाज के सामने पेश करें।
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प्रश्न 3. कैफ़ी आज़मी की अन्य रचनाओं को पुस्तकालय से प्राप्त कर पढ़िए और कक्षा में सुनाइए। इसके साथ ही उर्दू भाषा के अन्य कवियों की रचनाओं को भी पढ़िए।
उत्तर- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 4. एन० सी० ई० आर० टी० द्वारा कैफ़ी आज़मी पर बनाई गई फ़िल्म देखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
परियोजना कार्य
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प्रश्न 1. सैनिक जीवन की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए एक निबंध लिखिए।
उत्तर- विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2. आज़ाद होने के बाद सबसे मुश्किल काम है ‘आज़ादी बनाए रखना’। इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर- आजाद होना असल में कठिन है। आज़ादी पाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है, बहुत कुछ त्याग करना पड़ता है और कई लोगों को कुरबान करना पड़ता है। आज़ादी को इतनी मुश्किल से हासिल करना भी आसान नहीं है। जब आजादी मिली तो विभिन्न जाति, धर्म, संप्रदाय, भाषा क्षेत्र आदि के लोग एकजुट होकर आजादी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने के लिए तैयार थे. जिन लोगों ने अथक प्रयासों से आजादी मिली, वे बाद में जाति, धर्म, संप्रदाय, क्षेत्र, भाषा आदि के नाम पर अलगाववाद का समर्थन करते नजर आते हैं,
जिससे हमारी एकता को अनेकता में बदल ऐसे हालात का अनुचित लाभ उठाने के लिए कुछ शत्रु देश सक्रिय हो जाते हैं।
वे हमें दास बनाने के लिए कई हथकंडे प्रयोग करते हैं। वे हमारी विभाजित स्थिति से फायदा उठाते हैं। वे धन, छल-बल और कूटनीति का सहारा लेकर एकता को कमजोर करने की कोशिश करते हैं। वे इसमें सफल होते ही दंगे भड़काने का प्रयास करते हैं, भेदभाव को उकसाते हैं, ताकि हम आपस में लड़-मरें।
इसी अवसर का उन्हें इंतजार है। हमें ऐसी स्थिति को भूलकर भी नहीं आने देना चाहिए। कुछ लोग दिग्भ्रमित होकर गलत निर्णय लेते हैं, लेकिन हमें भी ऐसे लोगों को सही राह पर लाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए और स्वतंत्रता को हर संभव खतरा से बचाना चाहिए। वास्तव में, आज़ाद होने के बाद सबसे कठिन काम है खुद को स्वतंत्र रखना।
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प्रश्न 3. अपने स्कूल के किसी समारोह पर यह गीत या अन्य कोई देशभक्तिपूर्ण गीत गाकर सुनाइए।
उत्तर- विद्यार्थी खुद करें।
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. ‘कर चले हम फ़िदा जानो तन’ के माध्यम से सैनिक क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर- ‘कर चले हम फ़िदा जानो तन’ में सैनिक अपने देशवासियों और युद्ध में अपने साथियों से कहना चाहते हैं कि उन्होंने साहस और वीरता से अपने देश की रक्षा की है। अपने शरीर में जीवित रहते हुए, उन्होंने देश की गरिमा और प्रतिष्ठा को धक्का नहीं लगने दिया। उन्हें अपने सीने पर गोलियाँ खाकर देश के लिए जान दे दी है। अब आप भी अपनी जान देकर देश को बचाओ।
प्रश्न 2. सैनिकों के लड़ने के लिए परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं थीं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- हिमालय की घाटियाँ, जहाँ तापमान इतना कम है कि खड़ा रहना भी मुश्किल है, भारत और चीन के बीच हुए इस युद्ध का रणक्षेत्र थीं। भारतीय सैनिक हडियाँ कँपा देने वाली सरदी में चीनी सैनिकों का मुंहतोड़ जवाब दे रहे थे, लेकिन सरदी के कारण उनकी साँसें रुक गईं और उनके नसों में खून जम गया।
प्रश्न 3. सैनिकों ने हिमालय का सिर न झुकने देने के लिए क्या किया?
उत्तर- भारतीय सैनिकों में देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम का अत्यधिक भाव था। उन्हें अपनी मातृभूमि और देश भी बहुत प्यार था। उन्होंने इसे बचाने के लिए विपरीत हालात की परवाह नहीं की। वे निरंतर आगे बढ़ रहे थे। स्थिति ऐसी थी कि उनका रक्त जम रहा था, उनकी साँसें रुक रही थीं और साँस लेना कठिन हो रहा था, लेकिन उन्होंने इसकी परवाह किए बिना लड़ते हुए अपना बलिदान दे दिया।
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प्रश्न 4. ‘भरते-मरते रहो बाँकपन साथियो के माध्यम से सैनिक देशवासियों को क्या संदेश देना चाहते थे?
उत्तर- ‘मरते-मरते रहा बाँकपन साथियो’ के माध्यम से सैनिक अपने देशवासियों को बताना चाहते हैं कि वे शत्रुओं से युद्ध करते हुए अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए पूरे जोश और साहस से लड़े। उनका आत्मविश्वास गिरने नहीं दिया और सच्चे सैनिकों की तरह मातृभूमि के लिए अपना जीवन दे दिया। वे अपने देशवासियों को प्रेरित करना चाहते हैं कि वे भी देश की रक्षा करते हुए साहस की नई गाथा लिखें।
प्रश्न 5. भारतीय सैनिकों को युद्ध में किन-किन मुसीबतों का सामना करना पड़ा?
उत्तर-
भारतीय सैनिकों को चीनी सैनिकों के साथ हुए युद्ध में कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा; जैसे
- हिमालय की घाटियों जैसे दुर्गम स्थानों पर युद्ध करना पड़ा।
- हाड़ गला देने वाली सरदी में सैनिकों का खून जम रहा था।
- उनके सिर पर शत्रु मौत बनकर मॅडरा रहे थे।
- बर्फ के कारण उन्हें साँस लेने में कठिनाई हो रही थी।
प्रश्न 6. अपना बलिदान देकर भी सैनिकों को दुख की अनुभूति क्यों नहीं हो रही है?
उत्तर- वास्तविक सैनिक अपने देश के लिए ही जीता और मरता है। वह अपनी मातृभूमि को बचाने के लिए अपने जीवन की बाजी लगाना अपना धर्म मानता है। वह अपना सब कुछ देकर देश की सेवा करना चाहते हैं। ऐसा करके वे अपने सैन्य मूल्यों का पालन करते हैं और गर्वानुभूति करते हैं। चीन के साथ युद्ध में शहीद होने वाले भारतीय सैनिकों को गर्व की भावना कैसे होती जब वे अपने जीवन को त्याग चुके हैं? उन्होंने हिमालय को झुकने नहीं दिया, इसलिए उन्हें गर्व है।
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प्रश्न 7. ‘आज धरती बनी है दुलहन साथियो’ ऐसा सैनिकों को क्यों लग रहा है?
उत्तर- नववधू की सुंदरता अद्वितीय होती है, या दूलहन। लाल कपड़े उसे और भी सुंदर बनाते हैं। सैनिकों के रक्त से हिमालय की घाटियों की जमीन लाल हो गई है। वहाँ लड़ रहे सैनिकों को लगता है कि भारत ने लाल कपड़े पहने हैं। वह लाल जोड़े में सजी दुलहन की तरह दिखती है, जो इस परिधान में सजी है।
प्रश्न 8. सैनिक अपनी जवानी को कब सार्थक मानता है?
उत्तर- सच्चा सैनिक अपने देश के प्रति अटूट प्रेम में जीता और मरता है। वह शत्रुओं को हर समय पराजित करने को तैयार रहता है। वह अपने जीवन की परवाह किए बिना हर मुसीबत का सामना करने को तैयार रहता है। जब एक सच्चा सैनिक शत्रुओं से युद्ध करते हुए अपने जीवन की बलि देता है और अपने खून की हर बूंद देश को देता है, तो वह अपनी जवानी को सही मानता है।
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता युवाओं में राष्ट्र प्रेम और देशभक्ति की भावना प्रगाढ़ करती है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- यह कविता, “कर चले हम फ़िदा”, भारतीय सैनिकों की वीरता और साहस की गाथा है। विपरीत परिस्थितियों में इन सैनिकों ने चीनी सैनिकों का मुंहतोड़ जवाब दिया और उन्हें रोकते हुए आगे बढ़ते गए। उन्हें अपनी जान की परवाह नहीं थी और देश की रक्षा करते हुए कुरबान हो गए। यह कविता पढ़कर युवा देश और मातृभूमि को शत्रुओं से बचाने के लिए अपना सब कुछ देने के लिए प्रेरित होता है। उसकी देशभक्ति फैलने लगती है। वह साहस और जोश से भरा हुआ है। इस तरह, यह कविता देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम को प्रोत्साहित करती है।
प्रश्न 2. ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध का दर्दनाक वर्णन कविता “कर चले हम फ़िदा” में है। यह कविता भारतीयों के त्याग और बलिदान की अद्भुत गाथा दोहराती है और उनके साहस और वीरता का उत्कृष्ट उदाहरण भी देती है। यह कविता आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना कि उसने लिखी थी।
जब देश में पड़ोसी देश से घुसपैठ का खतरा बढ़ा है, जयचंदों की संख्या बढ़ी है और लोग भाषा, जाति, क्षेत्र, धर्म आदि के नाम पर अपनी डफली अपना राग अलाप रहे हैं, तो इस कविता की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। यह कविता अधिक प्रासंगिक है क्योंकि यह युवाओं को देशभक्ति के लिए प्रेरित करती है और वीरों को उत्साहित करती है।
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प्रश्न 3. कविता में राम, लक्ष्मण, सीता और रावण का प्रयोग किन संदर्भो में हुआ है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- “कर चले हम फ़िदा” कविता में राम, लक्ष्मण, सीता और रावण जैसे पौराणिक पात्रों का प्रयोग देशवासियों, भारतमाता और देश के शत्रुओं के संदर्भ में किया गया है। सीता बहुत सुंदर, गरिमामयी और पवित्र स्त्री थी। हमारी मातृभूमि भारत की भी कुछ ऐसी स्थिति है। यह बहुत समृद्ध और गौरवपूर्ण हमारी भारतमाता है।
इसकी ओर कुदृष्टि रखने वाले रावण अपना बना लेना चाहते हैं। जिस तरह राम और लक्ष्मण ने रावण को मारकर सीता की रक्षा की, उसी प्रकार भारतीय सैनिकों और देशवासियों से अपेक्षा की गई है कि वे रावण जैसे शत्रुओं से युद्ध करें और आवश्यकता पड़ने पर अपनी जान देकर साहस और वीरता की एक नई गाथा लिखें।
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CHAPTER 5 – पर्वत प्रदेश में पावस
CHAPTER 6 – मधुर-मधुर मेरे दीपक जल
CHAPTER 11 – डायरी का एक पन्ना
CHAPTER 12 – तताँरा-वामीरो कथा
CHAPTER 13 – तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र
CHAPTER 15 – अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले
CHAPTER 16 – पतझर में टूटी पत्तियाँ
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