NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10
बड़े भाई साहब
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1. कथा नायक की रुचि किन कार्यों में थी?
उत्तर- कथा नायक को खेल-कूद, मैदानों की सुखद हरियाली, हवा के हलके-हलके झोंके, फुटबॉल खेलना, बॉलीबॉल खेलना, कागज की तितलियाँ उड़ाना, चारदीवारी पर चढ़कर नीचे कूदना, फाटक पर सवार होकर उसे आगे-पीछे चलाना आदि में रुचि थी।
प्रश्न 2. बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे?
उत्तर- छोटे भाई हमेशा अपने बड़े भाई से कहाँ थे? तब से वे उसे शिक्षित करने लगे।
प्रश्न 3. दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर- छोटे भाई ने दूसरी बार पास होने पर स्वच्छंद और घमंडी हो गया। यह है वह। वह सोचने लगा कि चाहे वह अब पढ़े या नहीं, वह हो ही जाएगा। वह अपने बड़े भाई की सहनशीलता का गलत फायदा उठाकर खेलकूद में अधिक समय बिताने लगा।
प्रश्न 4. बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन-सी कक्षा में पढ़ते थे?
उत्तर- लेखक का बड़ा भाई उम्र में पांच साल छोटा था। नवीं कक्षा में पढ़ रहे थे।
प्रश्न 5. बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे?
उत्तर- दिमाग को शांत करने के लिए बड़े भाई साहब ने कभी-कभी कापी पर या किताब के हाशियों पर बिल्लियों, चिड़ियों और कुत्तों के चित्र बनाते थे। वे कभी-कभी शेर-शायरी की बार-बार सुंदर अक्षरों में नकल करते हैं, तो कभी-कभी एक शब्द या वाक्य को कई बार लिखते हैं। कभी-कभी एक आदमी का चेहरा बनाते हैं, कभी-कभी निरर्थक शब्द बनाते हैं।
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लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ( 25-30 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1. छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय क्या-क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया?
उत्तर- छोटे भाई ने पढ़ने पर अधिक ध्यान दिया और खेलने के लिए एक टाइम-टेबिल बनाया। उसने पढ़ाई का समय-रेखा बनाते समय सोचा कि समय-रेखा बनाना एक बात है, और उसे पालन करना दूसरी। यह समय-टेबिल का पालन नहीं कर पाया क्योंकि मैदान की हरियाली, फुटबॉल खेलने वालों की उछल-कूद और बॉलीबॉल खेलने वालों की तेजी और फुरती उसे अनजाने में खींच लेती थी, जिससे वह सब कुछ भूल जाता था।
प्रश्न 2. एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर- दिनभर गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई के सामने आया और उसे गुस्से में बुरी तरह लताड़ा। उसने अपने आप को घमंडी बताया और सर्वनाश होने का भय दिखाया। उसने आगे की पढ़ाई का भय दिखाते हुए भी उसकी सफलता को तुक्का बताया।
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प्रश्न 3. बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं?
उत्तर- बड़े भाई साहब चाहते थे कि उनके छोटे भाई उनके लिए एक उदाहरण बनें, जैसा कि वे करते थे। उन्हें अपनी नैतिक जिम्मेदारी का एहसास था कि भाई को नियंत्रण में रखने के लिए वे अपने आप को नियंत्रित करना होगा। उन्हें इस आदर्श और गरिमामयी स्थिति को बचाने के लिए अपने मन की इच्छाओं को नियंत्रित करना पड़ा।
प्रश्न 4. बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों ?
उत्तर- बड़े भाई साहब छोटे भाई को दिन-रात पढ़ने तथा खेल-कूद में समय न गॅवाने की सलाह देते थे। वे बड़ा होने के कारण उसे राह पर चलाना अपना कर्तव्य समझते थे।
प्रश्न 5. छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फ़ायदा उठाया?
उत्तर- लेखक का छोटा भाई (लेखक) बड़े भाई के बदसूरत व्यवहार से बदतर हुआ, जिससे वह स्वार्थी हो गया और पढ़ना-लिखना छोड़ दिया। उसकी भावना बलवती हो गई कि वह परीक्षा में पास होना चाहिए, चाहे पढ़े या न पढ़े। इतना ही नहीं, उसने अपना सारा जीवन पतंगबाज़ी में बिताया।
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(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1. बड़े भाई की डाँट-फटकार अगर न मिलती, तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता? अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर- यह मेरे विचार में सच है कि छोटे भाई को बड़े भाई की डाँट-फटकार नहीं मिलती तो वह कक्षा में कभी नहीं आता। उसने बड़े भाई की नसीहत और लताड़ से कभी कुछ नहीं सीखा, लेकिन छोटा भाई खे-प्रवृत्ति का था, इसलिए उसका प्रभाव अप्रत्यक्ष रूप से गहरा पड़ता था। बड़े भाई की डाँट-फटकार की भूमिका ने उसे कक्षा में पहले आने में सहायता दी और अपनी चंचलता पर नियंत्रण रखा। मुझे लगता है कि छोटा भाई बड़े भाई की डाँट-फटकार के कारण कक्षा में सर्वश्रेष्ठ था, यानी डाँट-फटकार उसके लिए वरदान थी।
प्रश्न 2. इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचार से सहमत हैं?
उत्तर- एक दिन छोटा भाई गुल्ली-डंडा खेलने के बाद बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा और क्रोधित होकर पूछा, “कहाँ थे?” लेखक को मौन देखकर उन्होंने घमंड और आगामी परीक्षा में फेल होने का भय दिखाया।
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प्रश्न 3. बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?
उत्तर- बड़े भाई साहब कहते हैं कि जीवन में महत्वपूर्ण ज्ञान अनुभव से मिलता है। उनका कहना है कि पुस्तकीय ज्ञान हर कक्षा में पास करके अगली कक्षा में प्रवेश मिलता है, लेकिन अनुभव में उतारे बिना यह अपूर्ण नहीं है। हम दुनिया को देखने, परखने और बुजुर्गों के जीवन से अनुभव रूपी ज्ञान प्राप्त करने की जरूरत है, क्योंकि यह ज्ञान हमें विपरीत परिस्थितियों में भी समस्याओं का समाधान करने में मदद करता है। उन्हें लगता है कि जीवन को देखने, सँवारने और समझने में मदद करने वाला अनुभव पढ़ाई से अधिक महत्त्वपूर्ण है।
प्रश्न 4. छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई?
उत्तर- छोटे भाई को बड़े भाई
- वह पढ़ने के बजाय खेलकूद में समय बिताने की सलाह देते थे।
- अपमान नहीं करना सिखाया।
- अपनी बात को मानने की सलाह दी।
बड़े होने के कारण वे ऐसा करना अपनी जिम्मेदारी समझते थे।
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प्रश्न 5. बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए?
उत्तर- बड़े भाई में निम्नलिखित गुण हैं:
- बड़ा भाई बहुत परिश्रम करता था। क्योंकि वह दिन-रात पढ़ाई करता था, उसे खेल-कूद या क्रिकेट खेलने में कोई दिलचस्पी नहीं थी।
- वह बार-बार फेल होने के बावजूद पढ़ाई में लगा हुआ था।
- वह अपने छोटे भाई को अच्छे इंसान बनाना चाहता है, इसलिए वह निरंतर अपने छोटे भाई को उपदेश देता रहता है, क्योंकि वह उपदेश देने की कला में माहिर है।
- वह आत्मनियंत्रण करने में माहिर है और सिद्धांतों को मानता है। वह एक आदर्शवादी बनना चाहता है और अपने छोटे भाई को एक अच्छा उदाहरण देना चाहता है।
- कारण यह है कि बड़ा भाई अपने छोटे भाई से पाँच साल बड़ा है, इसलिए वह अपने अनुभव और ज्ञान दोनों को देता है।
प्रश्न 6. बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्त्वपूर्ण कहा है?
उत्तर- बड़े भाई साहब ने किताबी ज्ञान की तुलना में जीवन के अनुभव को अधिक महत्वपूर्ण माना है। उन्हें नहीं लगता था कि रट्टा मारना किताबी ज्ञान है। उसमें कुछ ऐसी चीजें हैं जो जीवन से कोई संबंध नहीं रखतीं। इससे बुढ़ापे का विकास और जीवन की सही समझ नहीं मिलती। विपरीत अनुभव जीवन की सही समझ बनाता है। यह अनुभव आपको जीवन के सुख-दुख से आसानी से बाहर निकालता है। उम्र और अनुभव, चाहे घर चलाना हो या बीमारी का संकट हो, व्यक्ति की मदद करेंगे।
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प्रश्न 7. बताइए पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि-
- छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है।
- भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है।
- भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है।
- भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।
उत्तर-
1. छोटे भाई का मानना है कि उससे बड़ा होने के कारण बड़े भाई को उसे डाँटने-डपटने का पूरा अधिकार है। छोटे भाई की सभ्यता और शालीनता इसी में थी कि वह उनके आदेशों को कानून मानता था, अर्थात् पूरी सावधानी से उनका पालन करता था।
2. भाई ने अपने छोटे भाई से कहा कि मैं जीवन में आपसे अधिक अनुभवी हूँ। किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि व्यवहारिक अनुभव है जो समझ देता है। यद्यपि अम्मा व दादा पढ़े लिखे नहीं हैं, फिर भी वे हम से अधिक समृद्ध हैं। बड़े भाई ने कहा कि यदि मैं आज बीमार हो जाऊँ, तो तुम मेरी पूरी देखभाल नहीं कर सकते। यदि दादा हैं, तो वे स्थिति को नियंत्रित करेंगे। ध्यान दें कि आपके हेडमास्टर के पास कई डिग्री हैं। उनकी बूढ़ी माँ घर की देखभाल करती है। इन सब उदाहरणों से स्पष्ट है कि भाई साहब ने जीवन में अच्छा समय बिताया था।
3. छोटे भाई ने कहा कि मैं तुमको पतंग उड़ान करने की मनाहीं नहीं करता। सच तो यह है कि मैं भी पतंग उड़ाना चाहता हूँ। बड़े भाई साहब अपनी भावनाओं को नियंत्रित करते हैं। जब एक दिन भाई साहब के ऊपर से पतंग गुजरी, तो उन्होंने अपनी लंबाई का फायदा उठाया। छोटा भाई उनके पीछे-पीछे दौड़ रहा था जब वे उछलकर पतंग की डोर पकड़कर हॉस्टल की ओर दौड़ रहे थे। इन सब बातों से पता चलता है कि बड़े भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है, जो उचित जगह मिलने पर उभरता है।
4. बड़े भाई ने छोटे भाई को बताया कि जीवन का अनुभव ज्ञान से अलग है। तुम मेरे पास आ गए हो, लेकिन याद रखो कि मैं तुमसे बड़ा हूँ और तुम मुझसे छोटे हो। मैं तुम्हें गलत रास्ते पर रखने के लिए तुम्हें थप्पड़ मारने का हक रखता हूँ।
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(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
प्रश्न 1. इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज नहीं, असल चीज़ है बुद्धि का विकास।
उत्तर- इस पंक्ति का अर्थ है कि परीक्षा में सफल होना कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि परीक्षा रटकर भी पास की जा सकती है। परीक्षा पास करने से जीवन का अनुभव नहीं मिलता, और बिना अनुभव के व्यक्ति का विकास नहीं होता। बुधि का विकास, जिससे कोई अपना जीवन सार्थक बना सकता है, वास्तविक ज्ञान है।
प्रश्न 2. फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार घुड़कियाँ खाकर भी खेलकूद का तिरस्कार न कर सकता था।
उत्तर- लेखक को खेल-कूद, सैर-सपाटे और मटरगश्ती बहुत पसंद था। इन सब बातों के लिए, उसका बड़ा भाई उसे बहुत डाँटता-डपटता था। उसे घृणा करता था और उसे घुड़कियाँ देता था। लेकिन वह खेल नहीं छोड़ सकता था। खेलों में दिलचस्पी रखता था। जैसे लोग कई मुश्किलों में फँसकर भी मोहमाया में फँसते हैं, लेखक भी खेल-कूद के आकर्षण से मोहित था।
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प्रश्न 3. बुनियाद ही पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पायेदार बने ?
उत्तर- इस पंक्ति का अर्थ है कि जीवन की नींव को मजबूत बनाने के लिए शिक्षा की नींव भी गहरी तथा ठोस होनी चाहिए, क्योंकि इसके बिना जीवन की नींव मजबूत नहीं बन सकती।
प्रश्न 4. आँखें आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो बंद राति से आ रहा था, मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से नए संस्करण ग्रहण करने जा रही हो।
उत्तर- लेखक आकाश की ओर देखते हुए पतंग लूटने की कोशिश कर रहा था। उसकी आँखें एक पतंग की तरह आकाश में उड़ते हुए यात्री की ओर थीं। अर्थात, उसे एक दिव्य आत्मा की तरह लग रहा था जो पतंगों से आकाश में उड़ रही है।
वह आत्मा मानो मंद गति से नीचे की ओर गिर रही थी। यकीन है कि कटी हुई पतंग धीरे-धीरे धरती की ओर गिर रही थी। लेखक को कटी पतंग इतनी खूबसूरत लग रही थी कि वह एक आत्मा की तरह लग रही थी जो स्वर्ग से आकर धरती पर उतर रही थी।
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भाषा अध्ययन
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-
नसीहत, रोष, आज़ादी, राजा, ताज्जुब
उत्तर
शब्द – पर्यायवाच
नसीहत – शिक्षा, सीख, उपदेश, सबक
रोष – क्रोध, गुस्सा, क्षोभ
आज़ादी – स्वतंत्रता, स्वच्छंदता, स्वाधीनता, मुक्ति
राजा – नृप, महीप, नरेश, प्रजापालके
ताज्जुब – आश्चर्य, विस्मय, हैरानी
प्रश्न 2. प्रेमचंद की भाषा बहुत पैनी और मुहावरेदार है। इसीलिए इनकी कहानियाँ रोचक और प्रभावपूर्ण होती हैं। इस कहानी में आप देखेंगे कि हर अनुच्छेद में दो-तीन मुहावरों का प्रयोग किया गया है। उदाहरणतः इन वाक्यों को देखिए और ध्यान से पढ़िए-
- मेरो जी पढ़ने में बिलकुल न लगता था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था।
- भाई साहब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे-ऐसे सूक्ति बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती। बड़े भाई साहब
- वह जानलेवा टाइम-टेबिल, वह आँखफोड़ पुस्तकें, किसी की याद न रहती और भाई साहब को नसीहत और फजीहत का अवसर मिल जाता।
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
सिर पर नंगी तलवार लटकना, आड़े हाथों लेना, अंधे के हाथ बटेर लगना, लोहे के चने चबाना, दाँतों पसीना आना, ऐरागैरा नत्थू-खैरा।
उत्तर-
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प्रश्न 3. निम्नलिखित तत्सम, तद्भव, देशी, आगत शब्दों को दिए गए उदाहरणों के आधार पर छाँटकर लिखिए।
तालीम, जल्दबाज़ी, पुख्ता, हाशिया, चेष्टा, जमात, हर्फ़, सूक्ति-बाण, जानलेवा, आँखफोड़, घुड़कियाँ, आधिपत्य, पन्ना, मेला-तमाशी, मसलन, स्पेशल, स्कीम, फटकार, प्रात:काल, विद्वान, निपुण, भाई साहब, अवहेलना, टाइम-टेबिल
उत्तर-
प्रश्न 4. क्रियाएँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं-सकर्मक और अकर्मक
सकर्मक क्रिया- वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा रहती है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं;
जैसे- शीला ने सेब खाया।
मोहन पानी पी रहा है।
अकर्मक क्रिया- वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा नहीं होती, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं;
जैसे- शीला हँसती है।
बच्चा रो रहा है।
नीचे दिए वाक्यों में कौन-सी क्रिया है- सकर्मक या अकर्मक? लिखिए-
- उन्होंने वहीं हाथ पकड़ लिया।
- फिर चोरों-सी जीवन कटने लगा।
- शैतान का हाल भी पढ़ा ही होगा।
- मैं यह लताड़ सुनकर आँसू बहाने लगता।
- समय की पाबंदी पर एक निबंध लिखो।
- मैं पीछे-पीछे दौड़ रहा था।
उत्तर-
- सकर्मक
- सकर्मक
- सकर्मक
- सकर्मक
- सकर्मक
- अकर्मक
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प्रश्न 5. ‘इक’ प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए-
विचार, इतिहास, संसार, दिन, नीति, प्रयोग, अधिकार
उत्तर-
विचार – वैचारिक
नीति – नैतिक
इतिहास – ऐतिहासिक
प्रयोग – प्रायोगिक
संसार – सांसारिक
अधिकार – आधिकारिक
दिन – दैनिक
योग्यता विस्तार
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प्रश्न 1. प्रेमचंद की कहानियाँ मानसरोवर के आठ भागों में संकलित हैं। इनमें से कहानियाँ पढ़िए और कक्षा में सुनाइए। कुछ कहानियों का मंचन भी कीजिए।
उत्तर- ‘मानसरोवर’ के आठ भागों में लगभग तीन सौ कहानियाँ संकलित हैं। मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित इन कहानियों में ‘नमक का दारोगा’, ‘ईदगाह’, ‘पंच परमेश्वर’, ‘बूढ़ी काकी’, ‘अलगोझा’, ‘पूस की रात’, ‘ठाकुर का कुआँ’, ‘गिल्ली-डंडा’ आदि हैं। छात्र इन्हें पढ़े और इनका मंचन स्वयं करें।
प्रश्न 2. शिक्षा रटंत विद्या नहीं है-इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर- विद्यार्थी खुद चर्चा करें।
प्रश्न 3. क्या पढ़ाई और खेलकूद साथ-साथ चल सकते हैं-कक्षा में इस पर वाद-विवाद कार्यक्रम आयोजित कीजिए।
उत्तर- विद्यार्थियों के साथ बहस करें।
प्रश्न 4. क्या परीक्षा पास कर लेना ही योग्यता का आधार है? इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर- विद्यार्थी इस विषय पर कक्षा में चर्चा करें।
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परियोजना कार्य
प्रश्न 1. कहानी में जिंदगी से प्राप्त अनुभवों को किताबी ज्ञान से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बताया गया है। अपने माता-पिता बड़े भाई-बहिनों या अन्य बुजुर्ग/बड़े सदस्यों से उनके जीवन के बारे में बातचीत कीजिए और पता लगाइए कि बेहतर ढंग से जिंदगी जीने के लिए क्या काम आया-समझदारी/पुराने अनुभव या किताबी पढ़ाई?
उत्तर- विद्यार्थी खुद करें।
प्रश्न 2. आपकी छोटी बहिन/छोटा भाई छात्रावास में रहती/रहता है। उसकी पढ़ाई-लिखाई के संबंध में उसे एक पत्र लिखिए।
उत्तर-
A75/3
आशीर्वाद अपार्टमेंट
सेक्टर 18, रोहिणी
दिल्ली।
10 जनवरी, 20XX
प्रिय अनुज विकास
शुभाशीष !
हम सब घर पर सुरक्षित हैं और आशा करते हैं कि आप भी छात्रावास में सुरक्षित रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। विकास, दिसंबर में आपके प्रश्नपत्रों के अंकों को देखने से पता चला कि आपको अभी कुछ विषयों पर विशेष ध्यान देना होगा। नवीं कक्षा में 92 प्रतिशत अंक पाने के लिए अभी भी बहुत मेहनत करनी होगी। हाँ, एक बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए: अंग्रेज़ी, गणित, विज्ञान आदि रटने के विषय नहीं हैं। उन्हें रटने के बजाय, उन्हें समझने की कोशिश करना और अभ्यास करके अपनी समझ को बढ़ाना। रटा हुआ तथ्य जल्दी ही भूल जाता। है । रट्टू बच्चों का अच्छा ग्रेड देखा गया है।
एक और बात, पढ़ाई के दौरान स्वस्थ रहना महत्वपूर्ण है। खेल और व्यायाम स्वास्थ्य ठीक रखने और खुश रहने का सबसे अच्छा तरीका हैं। समय-समय पर पढ़ना और व्यायाम करना उससे पढ़ाई में थकान और तनाव दूर होगा, स्फूर्ति बढ़ेगी, खुशी मिलेगी और हर काम में दिलचस्पी होगी।
अंत में अपनी पढ़ाई और स्वास्थ्य पर ध्यान देना अपने आसपास साफ-सुथरा होना चाहिए। सब कुछ अच्छा है।
तुम्हारा बड़ा भाई
आकाश
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
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प्रश्न 1. लेखक अपने बड़े भाई के हुक को कानून समझने में शालीनता समझता था, ऐसा क्यों ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- लेखक और उसके भाई साहब छात्रावास में रहते थे और वहाँ शिक्षित होते थे। लेखक का बड़ा भाई पाँच वर्ष छोटा था। वह नौ वर्ष का है और उसका भाई चौदह वर्ष का है। उन्हें उम्र और अनुभव के इस अंतर से पूरा अधिकार था कि वे लेखक की देखभाल करें और डाँट-डपट करें, और लेखक की बातें मानने में ही शालीनता है।
प्रश्न 2. बड़े भाई महत्त्व की विधियाँ देखकर लेखक किस पहेली का हल नहीं निकाल सका और क्यों?
उत्तर- लेखक ने देखा कि बड़े भाई साहब ने अपनी पुस्तकों और कापियों के पृष्ठों और हासिये पर जानवरों की तस्वीरें बनाई हैं या ऐसे शब्दों का निरर्थक मेल करने का प्रयास किया है जो कोई अर्थ नहीं देते हैं। लाख कोशिश करने पर भी लेखक को यह समझ में नहीं आया। उम्र में छोटा होने के कारण वह बड़े भाई की पहेलियों का समाधान कैसे कर सकता था
प्रश्न 3. शिक्षा जैसे महत्त्वपूण मसले पर बड़े भाई साहब के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- भाई साहब का मानना था कि जीवन में शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। वे ऐसे महत्वपूर्ण मामलों में जल्दबाजी करने के पक्ष में नहीं थे। उन्हें लगता था कि प्रत्येक कक्षा में मजबूत शिक्षा की नींव बनाने में दो या तीन वर्ष की आवश्यकता होती है, ठीक उसी तरह जैसे मजबूत घर की जरूरत होती है।
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प्रश्न 4. लेखक को अपने वार्ड के रौद्र रूप के दर्शन क्यों हो जाया करते थे?
उत्तर- पढ़ाई के बजाय लेखक खेलकूद में व्यस्त था। वह घंटा भर भी पढ़ाई नहीं करता और अवसर मिलते ही होस्टल से बाहर निकल जाता। वह खेल खेलता था और दोस्तों से बात करता था। भाई साहब को ऐसा करना पसंद नहीं था और उसे पढ़ाई से दूर रखना पड़ा। वह खेलकर घर आते ही उनके रौद्र रूप को देखता था।
प्रश्न 5. खेल में लौटे १ई साब लेखक का साइत किस तरह करते थे?
उत्तर- “कहाँ थे?” लेखक के गुस्साए भाई साहब का पहला सवाल था जब वह खेलकर घर लौटता था। लेखक भी हर बार इसी तरह के प्रश्न का चुप रहकर उत्तर देता था। वह खुद को बाहर खेलने के लिए कह नहीं सकता। यह चुप्पी बताती है कि लेखक अपने अपराध को स्वीकार करता है। ऐसे में भाई साहब रोषपूर्ण और स्नेहपूर्ण शब्दों में उसका स्वागत करते।
प्रश्न 6. अंग्रेजी विषय के बारे में भाई व लेखक को क्या बताते थे? ऐसा कहने के पीछे भाई साहब का उद्देश्य क्या था
उत्तर-
“इस तरह अंग्रेज़ी पढ़ोगे तो जिंदगी भर पढ़ते रहोगे और एक हर्फ़ न आएगा,” बड़े भाई साहब ने लेखक के सामने अंग्रेजी की मुश्किलों का भयानक चित्रण किया। हर कोई अंग्रेजी पढ़ सकता है, यह कोई हँसी-खेल नहीं है। इसके लिए दिन-रात काम करना होगा। इतनी मेहनत के बावजूद इसे पूरी तरह से पढ़ा और समझा नहीं जा सकता।ऐसा कहने का भाई साहब का इरादा था कि लेखक अपनी पढ़ाई पर अधिक जोर दे।
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प्रश्न 7. ‘मुझे देखकर भी सबक नहीं लेते’-ऐसा कहकर भाई साहब लेखक को क्या बताना चाहते थे?
उत्तर- लेखक के बड़े भाई साहब ने पढ़ाई के लिए किताबें रटने की कोशिश की, रटकर परीक्षा पास करने की कोशिश की। ऐसा करने के दौरान वे अक्सर किताबें खोले रहते थे और खेलकूद और मेले-तमाशे से दूर रहते थे, लेकिन वे परीक्षा में फेल हो गए। अपने उदाहरण से वे यह बताना चाहते थे कि यदि मैं इतना पढ़कर भी फेल हो गया तो खेलने में समय गंवाने वाले आपका क्या हाल होगा।
प्रश्न 8. डाँट-फटकार लगाते भाई साहब लेखक को क्या-क्या सलाह दे डालते थे? उनके ऐसे व्यवहार को आप कितना उचित समझते हैं?
उत्तर- शिक्षा छोड़कर खेलकूद में समय बिताकर वापस आए लेखक को भाई-साहब ने बहुत डाँट-फटकार दिया और कहा कि अगर मैं दो-तीन साल एक दरजे में बिताता हूँ तो उम्र भर एक ही दरजे में पड़े रहोगे। तुम घर जाकर गुल्ली-डंडा खेलो और दादा की गाढ़ी कमाई को बर्बाद मत करो। कारण यह है कि उनके विचार नकारात्मक हैं, इसलिए मैं उनके इस व्यवहार को सही नहीं मानता।
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प्रश्न 9. भाई साहब द्वारा लताड़े जाने के बाद लेखक जो टाइम-टेबिल बनाता, उसका वर्णन कीजिए।
उत्तर- भाई साहब द्वारा लताड़े जाने के बाद लेखक जो टाइम टेबिल बनाता था, उसमें खेल नहीं होता। इस टाइम टेबिल में छह से आठ तक अंग्रेज़ी, आठ से नौ तक हिसाब, साढ़े नौ तक भूगोल, फिर भोजन और स्कूल. चार से पाँच तक भूगोल, पाँच से छह तक ग्रामर, छह से सात तक अंग्रेजी कंपोजीशन, आठ से नौ तक हिंदी, नौ से दस तक विविध विषय, फिर विश्राम।
प्रश्न 10. लेखक अपने ही बनाए टाइम-टेबिल पर अमल क्यों नहीं कर पाता था?
उत्तर- लेखक पढ़ाई से अधिक खेलकूद में व्यस्त था। वह पढ़ने का निश्चय करके समय निकाल लेता, लेकिन समय निकालने की जगह उसकी अवहेलना शुरू हो जाती। वह मैदान की सुखद हरियाली, हवा के झोंके, खेलकूद की मस्ती और उत्साह, कबड्डी के दाँव-पेंच और बॉलीबाल की फुरती से मोहित हो गया. उसे टाइम टेबिल और किताबों की याद नहीं रहती थी।
प्रश्न 11. बड़े भाई साहब ने लेखक का घमंड दूर करने के लिए क्या उपाय अपनाया?
उत्तर- बड़े भाई साहब ने देखा कि लेखक को अपने असफल होने और खुद के पास होने का घमंड हुआ है। उसने अपनी अहंकार को दूर करने के लिए रावण को उदाहरण देते हुए कहा कि रावण एक चक्रवर्ती राजा था, जिसे दुनिया के अन्य राजा करते थे। महान देवता भी उसकी दासता करते थे। उन्होंने आग और पानी के देवताओं को भी अपना दास बनाया था, लेकिन घमंड ने उसे भी बर्बाद कर दिया।
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प्रश्न 12. परीक्षकों के संबंध में भाई साहब के विचार कैसे थे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- परीक्षकों के संबंध में भाई साहब के विचार बहुत अच्छे नहीं थे। भाई साहब का कहना था कि परीक्षक इतने निर्दयी होते थे कि जामेट्री में अ ज ब लिखने की जगह अ ब ज लिखते ही अंक काटकर छात्रों का खून कर देते थे, वह भी इतनी सी व्यर्थ की बात के लिए। इन परीक्षकों को छात्रों पर दया नहीं आती थी।
प्रश्न 13. फेल होने पर भी भाई साहब किस आधार पर अपना बड़प्पन बनाए हुए थे?
उत्तर- लेखक को बताते हुए भाई साहब ने वार्षिक परीक्षा में फेल होने के कारणों में परीक्षकों की दृष्टि, विषयों की कठिनाई और अपनी कक्षा की पढ़ाई की कठिनाई का हवाला देकर कहा कि मैं लाख फेल हो गया हूँ, लेकिन मैं तुमसे बड़ा हूँ, संसार का मुझे तुमसे ज्यादा अनुभव है। वे अपने बड़प्पन को उम्र में बड़े और अधिक अनुभवी होने के कारण बनाए रखना चाहते हैं।
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प्रश्न 14. भाई साहब ने अपने दरजे की पढ़ाई का जो चित्र खींचा था उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर- लेखक भयभीत हो गया जब भाई साहब ने अपने दरजे की पढ़ाई को बहुत कठिन बताया। लेखक को खुद पर आश्चर्य हो रहा था कि वह स्कूल छोड़कर घर नहीं भागा। तब भी वह पुस्तकों और खेलों में रुचि रखती थी। अब वह कक्षा में अपमानित होने से बचने के लिए अपने टस्क पूरे करने लगा।
प्रश्न 15. भाई साहब भी कनकौए उड़ाना चाहते थे पर किस भावना के कारण वे चाहकर भी ऐसा नहीं कर पा रहे थे?
उत्तर- भाई साहब के भीतर बचपना छिपा हुआ था। वे बलपूर्वक इस बचपने को दबा रहे थे और अपनी सुलभ बाल इच्छाओं का गला घोट रहे थे। वे खेलने-कूदने और पतंग उड़ाने का आनंद लेते थे, लेकिन कर्तव्य और बड़प्पन के कारण ऐसा नहीं कर पा रहे थे। यदि वे खेलकूद में शामिल होते तो लेखक को पढ़ने के लिए प्रेरित करने का क्या प्रभाव होता?
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. भाई साहब के फेल होने और खुद के अव्वल आने पर लेखक के मन में क्या-क्या विचार आए?
उत्तर- जब वार्षिक परीक्षा का परिणाम आया, दिन-रात किताबें खोलकर बैठे रहने वाले भाई साहब फेल हो गए, लेकिन उनका छोटा भाई, लेखक, जिसका सारा समय खेलकूद में बिताया जाता था और कुछ पढ़ाई करता था, परीक्षा में अव्वल आ गया।
जब भी लेखक बाहर खेलते, आतातोभाई साहब रौद्र रूप में सूक्तिबाणों से उसका स्वागत करते और उत्साहपूर्वक लताड़ते। अब उनके असफल होने पर लेखक को यह विचार आया कि भाई साहब को आड़े हाथों लेकर उनसे पूछे कि कहाँ गई वह कठोर तपस्या? मैं मजे से खेलता भी हूँ और दरजे में अव्वल भी हूँ, लेकिन लेखक को भाई साहब की उदासी और दर्द देखकर उनके घावों पर नमक छिड़कने का साहस नहीं हुआ।
प्रश्न 2. भाई साहब भले ही फेल होकर एक कक्षा में दो-तीन साल लगाते थे पर उनकी सहज बुधि बड़ी तेज़ थी। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- भाई साहब बहुत मेहनत करते थे, लेकिन हर कक्षा में दो-दो या तीन-तीन वर्ष लगते थे। इसके बावजूद, वे बहुत तेज थे।वह अपने भाई साहब को खो चुका था और छोटे भाई के पास था, इससे उसकी आत्मसम्मान की भावना बढ़ गई। वह खुद खेलने लगा। वह भाई साहब को मौखिक जवाब तोनहींदेसकता था, लेकिन उसके रंग-ढंग से यह स्पष्ट होने लगा कि छोटा भाई भाई साहब के प्रति पहले की तरह अदब नहीं रखता था।
बिना कुछ कहे-सुने, भाई ने इसे भाँप लिया. एक दिन जब वह खेलकर लौटा, भाई ने उसे बहुत खरी-खोटी सुनाई और उसे उपदेशात्मक भाषा में धमकी दी। इससे स्पष्ट होता है कि भाई साहब की सहज बुद्धि बहुत तीव्र थी।
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प्रश्न 3. बड़े भाई साहब ने तत्कालीन शिक्षा प्रणाली की जिन कमियों की ओर संकेत करते हुए अपने फेल होने के लिए उसे उत्तरदायी ठहराने की कोशिश की है, उससे आप कितना सहमत हैं? अपने विचार लिखिए।
उत्तर-
बड़े भाई ने उस समय की शिक्षा व्यवस्था में कई कमियों की ओर संकेत किया है, उनमें से एक था कि विद्यार्थियों का भविष्य सिर्फ वार्षिक परीक्षा के परिणाम पर निर्भर था। इस प्रणाली से रटने की आदत बढ़ी। इसमें न तो व्यवस्था थी और न ही छात्रों की अन्य बातों का मूल्यांकन किया गया था। इसके अलावा, परीक्षकों का दृष्टिकोण कुछ ऐसा था
कि वे छात्रों से पुस्तक में लिखित उत्तर की उम्मीद करते थे। पुस्तक से उत्तर अलग होने पर शून्य अंक मिलते थे। हालाँकि, भाई साहब इन कारणों से ही परीक्षा प्रणाली पर अपने फेल होने का दोष नहीं डाल सकते हैं। वे खुद भी समझकर पढ़ने के बजाय रटकर पढ़ते थे, जो उनके फेल होने का कारण था। भाई साहब के विचारों से मैं इस तरह सहमत नहीं हूँ। पास होने के लिए उन्हें न पढ़े गए विषयों को समझना होगा।
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