NCERT Solution For Class 9 Hindi kritika Chapter 2
मेरे संग की औरतें
- लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं?
उत्तर : यद्यपि लेखिका ने अपनी नानी को कभी नहीं देखा था, फिर भी वे उनके व्यक्तित्व से प्रभावित थीं क्योंकि उनकी नानी पारंपरिक, अनपढ़, परदादा औरत थीं, जिनके पति शादी के तुरंत बाद उन्हें छोड़कर विलायत में बैरिस्ट्री पढ़ने चले गए थे। जब वे कैंब्रिज विश्वविद्यालय से डिग्री लेकर लौटे और विलायती रीति-रिवाज के साथ रहने लगे, तो उनकी नानी ने उनके रहन-सहन पर कोई असर नहीं पड़ने दिया. उन्होंने अपनी किसी इच्छा या पसंद को पति पर कभी नहीं बताया।
कम-उम्र में नानी ने खुद को मौत के करीब पाया तो पंद्रह वर्षीय इकलौती बेटी, “लेखिका की माँ” की शादी की बात करते हुए वे बेपरदा और मुँहज़ोर होकर अपने पति के दोस्त से मिलीं। उसने अपने पति के दोस्त से जो कुछ भी कहा, वह साबित करती है कि वे एक स्वतंत्र और स्वतंत्र विचारों वाली महिला थीं, जो अपने देश से बेइंतहा प्रेम करती थीं और देश के सैनिकों के प्रति गज़ब का आदर करती थीं, और शायद अपने जीवन को भी अपनी ही शर्तों पर जीती थीं।
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- लेखिका की नानी की आज़ादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही?
उत्तर : लेखिका की नानी ने आज़ादी के आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, हालांकि उन्होंने इसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई भूमिका नहीं निभाई थी। उनके पति ने ‘कैंब्रिज विश्वविद्यालय’ से विलायती डिग्री हासिल की थी,
लेकिन फिर भी उन्होंने अंग्रेजी शासन को कभी नहीं अपनाया। वह स्वयं एक देशभक्त थी, क्योंकि उनके पति अंग्रेजी साहब थे, इसलिए उन्होंने कभी अपने पति से अपनी इच्छाएँ बताई नहीं। वह मुँहजोर और बेपर्दा होकर अपने दोस्त के पति से अपनी बेटी की शादी देश के किसी सिपाही से करने की इच्छा व्यक्त की, यह दिखाता है कि वे अंग्रेजों की कितनी खिलाफ थीं और अपने देश के प्रति कितना अधिक समर्पित थे। इस कदम ने उनके साहसी व्यक्तित्व को भी दिखाया।
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- लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी इस कथन के आलोक में–
क) लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर : निम्नलिखित गुण लेखिका की माँ का व्यक्तित्व बताते हैं:
1) उनकी खूबसूरती, नज़ाकत, ईमानदारी और निष्पक्षता इतनी मिली-जुली थी कि वे जादूगरों से कम नहीं थीं।
2) वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं।
3) वे एक व्यक्ति की गोपनीयता दूसरे व्यक्ति को नहीं बताती थीं।
4.) वे आम भारतीय माँ से बहुत अलग थीं। उन्हें अपने बच्चों को प्यार नहीं किया, उनके लिए खाना पकाया और अच्छी पत्नी-बहू बनने की कला नहीं सिखाई।
5.) वे संगीत सुनने, साहित्य पढ़ने और किताबें पढ़ने के लिए बहुत उत्सुक थीं।
6.) हर ठोस और हवाई कार्य के लिए उनकी ज़बानी सलाह अनिवार्य रूप से मांगी जाती थी और निष्पक्ष रूप से निभाई जाती थी।
7) उनमें आज़ादी का जुनून कम था, लेकिन वह बहुत था, और वे उसे अपने तरीके से पूरी तरह से निभाती रहीं। ज़ाहिर है कि जब जुनून स्वतंत्र है, तो उसे निभाना भी स्वतंत्र होना चाहिए, किसी दूसरे से नहीं, अपने तरीके से।
ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द–चित्र अंकित कीजिए।
उत्तर : लेखिका की दादी का घर बहुत अलग था। यह एक परिवार था, लेकिन हर व्यक्ति को अपना अलग व्यक्तित्व बनाए रखने का अधिकार था। पति और पत्नी दोनों को घर में समान अधिकार थे। इतना ही नहीं, लेखिका की परदादी ने मंदिर में जाकर मन्नत माँगी कि उनकी पतोहू का पहला बच्चा लड़की होगा; यह घर के वातावरण और उसमें रहने वाले लोगों की स्वतंत्र सोच का ही परिचायक है। लेखिका की माँ ने किसी प्रचारित पत्नी, बहु या माँ के पद का पालन नहीं किया था, लेकिन उनके परंपरागत दादा-दादी और उनकी ससुराल के अन्य सदस्यों ने उनकी माँ को नाम नहीं दिया, न उनसे आम औरत की तरह व्यवहार किया।
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- आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी?
उत्तर : परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में एक लड़की होने की मन्नत माँगी क्योंकि वे एक स्वतंत्र और साहसी महिला थी। वे लड़कियों को लड़कों की तरह ही देखती थीं, जो उनकी इच्छा से साबित हुई थीं। उस समय उन्होंने अपने घर से ही शुरुआत की, ताकि समाज में लड़कियों को सम्मान दें और उन्हें समान अधिकार दें।
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- डराने–धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है–पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए |
उत्तर : डराने-धमकाने, शिक्षित करने या दबाव डालने से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है। यह पाठ पूरी तरह से सही है। जब माँ जी को पता चला कि उनके कमरे में चोर है, तो उन्होंने उसके साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया। उन्होंने चोर के हाथ से पानी पीया और उसे भी पिलाया, जो किसी को बुरा से अच्छा करने के लिए पर्याप्त था। चोर को माँ ने कभी भी इतना सम्मान नहीं दिया होगा। माँ ने उसे सिर्फ इतना कहा कि “तुम चोरी करो या खेती करो, यह तुम्हारी मर्जी.” बस इतना कहने से चोर का मन बदल गया।उसने खेती अपनाली और हमेशा के लिए चोरी की।
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- ‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है’- इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए |
उत्तर : बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार शिक्षा है।लेखिका ने अपनी मेहनत को साबित कर दिया है। जब लेखिका विवाह करके कर्नाटक के एक छोटे कस्बे बागलकोट में आई, तो उनके दो बच्चे स्कूल जाने लायक उम्र में थे, इसलिए उन्होंने कैथोलिक बिशप से प्राइमरी स्कूल खोला। उसने क्रिश्चियन और गैर-क्रिश्चियन दोनों समुदायों के बच्चों के लिए प्राइमरी स्कूल खोलने के लिए कहा, लेकिन उनसे सहयोग न मिलने पर लेखिका ने स्वयं ही एक प्राइमरी स्कूल खोला, जो तीन भाषाओं में पढ़ता था: अंग्रेज़ी, हिंदी और कन्नड़. यह स्कूल कर्नाटक सरकार से भी मान्यता प्राप्त हुई ताकि किसी भी समुदाय के बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित
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- पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है?
उत्तर : पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाले लोगों को श्रद्धा से देखा जाता है जो दृढ़ संकल्प रखते हैं, परंपरागत और रूढ़िवादी विचारों से अलग सोचते हैं और स्वयं बदलाव की पहल करते हैं। लोगों को श्रद्धा से देखा जाता है जो सरल, सहज और परोपकारी हैं और कभी झूठ नहीं बोलते या किसी की बात को इधर-उधर नहीं करते।
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- ‘सच, अकेलेपन का मज़ा ही कुछ और है’-इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए |
उत्तर : लेखिका और उनकी बहन दोनों दृढ़ निश्चयी थीं। वे स्वयं पूरी थीं। वे दोनों ज़िद्दी थे, लेकिन यह विशेषण उनके लिए सकारात्मक है। यह दोनों ही अपने दृढ़ लक्ष्यों को पूरा करके ही दम लेती हैं, जिसे यह शब्द जिद्दी बताता है। ये दोनों ही हमेशा अपनी खुद की राह खोजती हैं और मंजिल तक पहुँचने तक चलती हैं। वे दोनों स्वयं की साथी हैं, हमदर्द। पाठ में उनके अकेले चलने की बहुत सुन्दर व्याख्या की गई है। चाहे वह लेखिका के डालमिया नगर की घटना हो या बागलकोट की। लेखिकाकी बहन के विद्यालय पहुँचनेकी घटना ने भी इस पाठ को अलग तरह से प्रभावित किया है।